भारत की प्रमुख झीलें और संबंधित राज्यों की सूची / भारत की प्रमुख झीलें राजयवर

 ** भारत की प्रमुख झीलें**

भारत की प्रमुख झीलें और संबंधित राज्यों की सूची / भारत की प्रमुख झीलें राजयवर


झीलों का निर्माण

झीलों का निर्माण बिभिन्न  कारणों से होता है. भारत  के  झीलों  को निम्न  रूप मे वर्गीकृत किया जा सकता है.


विसर्प झीलें :--

 मैदानी क्षेत्र में नदियाँ घुमावदार मार्ग से प्रवाहित होती हैं. जब इन मोड़ों के सिरे कट जाते हैं और नदी सीधे मार्ग से बहने लगती है तब विसर्प झीलें बनती हैं. गंगा की मध्य व निचली घाटी में ऐसी अनेक झीलें पाई जाती हैं. पश्चिम बंगाल में उन्हें “बील” कहते हैं.


भू-गर्भिक क्रिया से बनीं झीलें :--

 पहाड़ों से बर्फ, पत्थर आदि भूमि पर गिरने से धरातल पर विशाल गड्ढे बन जाते हैं. इनमें जल भरने से जो झीलें बनती हैं, उन्हें भू-गर्भिक क्रिया से बनीं झीलें कहते हैं. कश्मीर की वूलर और कुमायूँ की अनेक झीलें इसी प्रकार की हैं.


पवन-क्रिया से बनीं झीलें :-- 

मरुस्थल में पवन क्रिया से अपवाहन गर्त बन जाते हैं. वर्षाकाल में इनमें जल भर जाता है. वाष्पीकरण अधिक होने से सतह पर लवण की परतें एक जगह इकठ्ठा हो जाती हैं और फलस्वरूप खारी झीलें बन जाती हैं. राजस्थान की साम्भर, डीडवाना, पंचभद्रा ऐसी ही झीलें हैं.


घुलन क्रिया से निर्मित झीलें :-- 

चूना पत्थर, जिप्सम, लवण आदि घुलनशील शैलों के प्रदेश में जल की घुलन क्रिया से ये झीलें उत्पन्न होती हैं. असम में ऐसी झीलें पायी जाती हैं.


हिमानी निर्मित झीलें :-- 

हिमनदों द्वारा निर्मित गर्तों में हिम के पिघले हुए जल से इस प्रकार की झीलों का निर्माण होता है. कुमायूँ हिमालय में नैनीताल आदि झीलें इसके प्रमुख उदाहरण हैं. कभी-कभी हिमनदी के पिघले जल से “हिमोढ़ झीलों” का निर्माण होता है. पीरपंजाल श्रेणी के उत्तरी-पूर्वी ढालों पर ऐसी ही झीलें पाई जाती हैं.


भू-स्खलन से निर्मित झीलें :--

 पर्वतीय ढालों पर बड़े-बड़े शिलाखण्डों के गिरने से कभी-कभी नदियों के मार्ग रुक जाते हैं और इनमें जल एकत्रित होने लगता है और अंततः झील बन जाती है. अलकनंदा के मार्ग में शैल-स्खलन से गोहाना नामक झील का निर्माण हुआ था


ज्वालामुखी- क्रिया से निर्मित झीलें :-- 

ज्वालामुखी विस्फोट से उत्पन्न क्रेटर या काल्डेरा में जल भरने से झील बनती हैं. महाराष्ट्र में की लोनार झील इसी प्रकार से बनी है.


अनूप या लैगून झीलें :-- 

नदियों के मुहाने पर समुद्री लहरों तथा पवनों की क्रिया से बालू के टीले बन जाते हैं. इसके पीछे एकत्रित जल लैगून के रूप में अवशिष्ट रहता है. उड़ीसा का चिल्का झील ऐसा ही है.

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# राजस्थान

  1. जसमन्द झील 
  2. पिछौला झील
  3. लुन्कसर झील 
  4. डीडवाना झील 

# तमिलनाडु

  1. पुलिकट झील 
  2. ऊटी झील 
  3. येरकाउड 

# आंध्र प्रदेश

  1. हुसैन सागर झील 
  2. कोल्लेरू झील 
  3. नागार्जुन झील 
  4. निजाम सागर झील 

# राजस्थान

  1. जयसमंद 
  2. साम्भर झील 
  3. फ़तेह सागर झील 
  4. पंचपद्रा 
  5. नक्की 
  6. पुष्कर झील 
  7. धेबार 

# जम्मू-कश्मीर

  1. डल झील 
  2. बूलर 
  3. सो-मोरारी 
  4. शेषनाग झील 
  5. मानसबल झील 

# मणिपुर

  1. लोकटक 

#  उत्तराखंड

  1. सातताल  
  2. नैनीताल 
  3. नौकुछियाताल

 # हिमाचल प्रदेश

  1. रेणुका
  2. चंद्रा
  3. खजियार 

# हरियाणा

  1. ब्रह्मसरोवर 

# महाराष्ट्र

  1. कोयला 

# केरल

  1. अष्टामुडी झील 
  2. बेम्बनाड

# गोवा

  1. मायेम 

# सिक्किम

  1. संगमी 

# उड़ीसा

  1. चिल्का झील 

# उत्तराखंड

  1. रूपकुंड 
  2. भीमताल 
  3. राकसताल 

# हरियाणा

  1. सूरजकुंड 

# महाराष्ट्र

  1. लोनार 

# कर्नाटक

  1. कुक्काराहल्ली 


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